ुदुनिया के दुश्मन नंबर वन ओसामा बिन लादेन के खात्मे के साथ ही क्या वैश्विक आतंकवाद के खात्मे की भी शुरु आत हो चुकी है? या फिर अमेरिका सिर्फअपने दुश्मन को हलाक करने के बाद अब चुप्पी साध कर बैठ जाएगा? इस संदर्भ में अगर अकेले अमेरिकन राष्ट्रपति बराक ओबामा को गौर से देखें तो लाचारी में ही सही यह वस्तुत: विश्वव्यापी आतंकवाद के खिलाफ जंग के एलान की शुरूआत ही है। चुनावी साल में ही अमेरिका का मंदी में फंस जाना और चौपट अर्थव्यवस्था के बीच बेरोजगारी की दर का 17 फीसदी के इर्दगिर्द टिक जाना, बराक ओबामा के लिए शुभ संकेत नहीं थे। माना जा सकता है कि ओबामा पर ओसामा को ढेर करने के पीछे अप्रकट रूप से सामरिक मोर्चे पर यह एक बड़ा कूटनीतिक दबाव था। बेशक, पाकिस्तान में ओसामा की मौत के बाद क्या अमेरिका पूरी दुनिया में ओबामा की रेटिंग एकाएक सुधारआया है।
माना तो यह भी जाने लगा है कि ओसामा के कत्ल के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति के पद पर ओबामा की ताजपोशी तकरीबन-तकरीबन एक बार फिर से तय है, लेकिन यकीनी तौर पर एकदम ऐसा नहीं है? 90 के दशक में इसी अमेरिका में शीत युद्ध के खात्मे के साथ ही तब के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश सीनियर की अप्रूवल रेटिंग चरम पर पहुंचने के बाद भी आम मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया था और वह दोबारा राष्ट्रपति बनने का सपना समेट कर बैठ गए थे। तब के मुकाबले हालात आज कुछ भी हों लेकिन इतना तय है कि लादेन के खात्मे में पूरा एक दशक लगा और अगर आज कामयाबी मिली तो रणनीतिक प्रयासों की पृष्ठभूमि अकेले ओबामा की देन नहीं है। ऐसे में अगर ओबामा वाकई आगे भी विश्व की सबसे शक्तिशाली हैसियत बने रहने का सपना पाले रहना चाहते हैं तो उन्हें यूूं ही गर्म लोहे पर प्रहार करते रहने होंगे। आतंकवाद के खिलाफ अपने विश्वविजयी अभियान के तहत उन्हें खासकर यह सुनिश्चित करना होगा कि दुनिया से आतंक का नामोनिशान मिट जाए । वैश्विक आतंकवाद का मुख्य ठिकाना बन चुके पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य अभियान के लिए इससे बेहतर वक्त अब शायद ही फिर कभी आए।
एक हकीकत यह है कि अगर आतंक का पर्याय रहा ओसामा दुनिया को अमेरिका की देन है तो वैश्विक स्तर पर आताताइयों का आरामगाह बन चुका पाकिस्तान भी उसी की ही शह का परिणाम है। खासकर भारत के खिलाफ अमेरिका पाक का ही शुभचिंतक रहा है। यह तथ्य भी किसी से छिपा नहीं है कि ओबामा के राष्ट्रपति बनने के बाद पाकिस्तान को दो गुना आर्थिक मदद बढ़ा कर 4.3 अरब डालर कर दी गई। इस सिलसिले में ताजा खुलासे की मानें तो 9/11 से लेकर अब तक अमेरिका पाकिस्तान को 20 अरब डॉलर की आर्थिक इमदाद दे चुका है। पाकिस्तानी सत्ता जीवनयापन के लिए आधी सदी से किसी परजीवी की तरह अमेरिका से ही पोषित होती रही है, लेकिन इस एवज में पाकिस्तान ने उसे क्या दिया?आतंक के आका ओसामा को अत्यंत सुरक्षित पनाह। तिस पर तुर्रा यह कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। ऐबटाबाद में रंगेहाथ पकड़ा गया पाकिस्तान अभी भी जहां भारत को गीदड़ भभकी दे रहा है,वहीं अमेरिका से भी आंखे तरेर रहा है। पीठ पर छुरा मार कर भरोसे का खून करनेवाला दगाबाज पाकिस्तान क्या अब अमेरिका दुश्मन नंबर वन नहीं है? जरूरत तो अब इस बात की है एशियाई देशों में आतंक के खिलाफ भारत और अमेरिका मिलकर सैन्य अभियान चलाएं।
माना तो यह भी जाने लगा है कि ओसामा के कत्ल के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति के पद पर ओबामा की ताजपोशी तकरीबन-तकरीबन एक बार फिर से तय है, लेकिन यकीनी तौर पर एकदम ऐसा नहीं है? 90 के दशक में इसी अमेरिका में शीत युद्ध के खात्मे के साथ ही तब के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश सीनियर की अप्रूवल रेटिंग चरम पर पहुंचने के बाद भी आम मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया था और वह दोबारा राष्ट्रपति बनने का सपना समेट कर बैठ गए थे। तब के मुकाबले हालात आज कुछ भी हों लेकिन इतना तय है कि लादेन के खात्मे में पूरा एक दशक लगा और अगर आज कामयाबी मिली तो रणनीतिक प्रयासों की पृष्ठभूमि अकेले ओबामा की देन नहीं है। ऐसे में अगर ओबामा वाकई आगे भी विश्व की सबसे शक्तिशाली हैसियत बने रहने का सपना पाले रहना चाहते हैं तो उन्हें यूूं ही गर्म लोहे पर प्रहार करते रहने होंगे। आतंकवाद के खिलाफ अपने विश्वविजयी अभियान के तहत उन्हें खासकर यह सुनिश्चित करना होगा कि दुनिया से आतंक का नामोनिशान मिट जाए । वैश्विक आतंकवाद का मुख्य ठिकाना बन चुके पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य अभियान के लिए इससे बेहतर वक्त अब शायद ही फिर कभी आए।
एक हकीकत यह है कि अगर आतंक का पर्याय रहा ओसामा दुनिया को अमेरिका की देन है तो वैश्विक स्तर पर आताताइयों का आरामगाह बन चुका पाकिस्तान भी उसी की ही शह का परिणाम है। खासकर भारत के खिलाफ अमेरिका पाक का ही शुभचिंतक रहा है। यह तथ्य भी किसी से छिपा नहीं है कि ओबामा के राष्ट्रपति बनने के बाद पाकिस्तान को दो गुना आर्थिक मदद बढ़ा कर 4.3 अरब डालर कर दी गई। इस सिलसिले में ताजा खुलासे की मानें तो 9/11 से लेकर अब तक अमेरिका पाकिस्तान को 20 अरब डॉलर की आर्थिक इमदाद दे चुका है। पाकिस्तानी सत्ता जीवनयापन के लिए आधी सदी से किसी परजीवी की तरह अमेरिका से ही पोषित होती रही है, लेकिन इस एवज में पाकिस्तान ने उसे क्या दिया?आतंक के आका ओसामा को अत्यंत सुरक्षित पनाह। तिस पर तुर्रा यह कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। ऐबटाबाद में रंगेहाथ पकड़ा गया पाकिस्तान अभी भी जहां भारत को गीदड़ भभकी दे रहा है,वहीं अमेरिका से भी आंखे तरेर रहा है। पीठ पर छुरा मार कर भरोसे का खून करनेवाला दगाबाज पाकिस्तान क्या अब अमेरिका दुश्मन नंबर वन नहीं है? जरूरत तो अब इस बात की है एशियाई देशों में आतंक के खिलाफ भारत और अमेरिका मिलकर सैन्य अभियान चलाएं।
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