शनिवार, 14 मई 2011

महंगाई की आग में पेट्रोल की आशंका



¨petroliam पदार्थो की कीमतों पर गठित मंत्री समूह की आज होने वाली बैठक फिलहाल भले ही टल गई हो, लेकिन इसकी दर वृद्धि से महंगाई की आग का अभी और भड़कना तकरीबन तय है। गत जनवरी से पेट्रोल,डीजल और रसोई गैस के मूल्यों का संशोधन नहीं हुआ है। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक नहीं चाहता कि सरकार किसी भी सूरत में पेट्रोलियम पदार्थो के दाम बढ़ाए। आरबीआई के गर्वनर सुब्बा राव अंतर मंत्रलय समूह(आईएमजी) की बैठक के दौरान सरकार को पहले ही चेता चुके हैं कि मौजूदा हालात में सरकार को फिलहाल ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए ,जिससे महंगाई बढ़े। मगर मजबूरी यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम उच्चस्तर पर बने रहने के कारण घरेलू बाजार में पेट्रोलियम पदार्थो के खुदरा मूल्य बढ़ाए जाने के सिवाय कोई रास्ता नहीं है। ऐसा नहीं करने पर सरकार पर सब्सिडी का बोझ बढ़ेगा और इसका सीधा असर राजकोषीय घाटे को बढ़ाएगा। इससे मुद्रा प्रसार का दबाव भी और बढ़ेगा।
उधर,बेलगाम महंगाई ने निम्न मध्यम और निम्न वर्ग की नींद पहले से ही उड़ा रखी है। रोजाना आम उपभोग की खासकर खाद्य वस्तुओं की पकड़ से बाहर हो चुकी कीमतों के बीच हालात इस कदर बेकाबू होते जा रहे हैं कि आम आदमी की रसोई का बजट संतुलित करने में और तो और अब सरकार और उसके अर्थशास्त्रियों को भी पसीना आ रहा है। न तो कोई कारगर विकल्प दिख रहे हैं और ना ही कोई असरकारी उपाय सूझ रहा है। जब-जब सरकार के हाथ से महंगाई की लगाम छूटती है, तब-तब वह मुद्रा स्फीति के मुस्के कसने लगती है। ऐसी ही एक कोशिश के तहत रिजर्व बैंक ने विकास दर की फिक्र को दरकिनार करते हुए प्रमुख नीतिगत दरों में 50 आधार अंकों का इजाफा कर महंगाई से दो-दो हाथ करने का अपना इरादा साफ कर दिया है, लेकिन इससे हर किसी का भला होने वाला नहीं है। सच तो यह है कि आम आदमी को ही इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। आवास और वाहन ऋणों की बैंक ब्याज दरों में 0.5 से 1.0 फीसदी इजाफे की आशंका ने अपना घर और अपनी कार के सपने चूर-चूर कर दिए हैं। नया कर्ज लेना भी महंगा हो जाएगा। यह भी साफ है कि महंगाई के खिलाफ अकेला यह सख्त उपाय काफी नहीं है। इसमें शक नहीं कि अगर यही हाल रहा तो मार्च 2012 तक महंगाई 6 प्रतिशत अथवा इससे ऊपर पहुंच जाने आशंका है। इतना ही नहीं जिंसों की वैश्विक कीमतें ऊं ची रहने के कारण महंगाई अभी और भी बढ़ सकती है।
बाजार हो या विश्लेषक सभी मानते हैं कि महंगाई की वृद्धि 50 से 75 आधार अंकों तक जा सकती है। जाहिर है, विकास दर प्रभावित होगी। हालांकि मौद्रिक नीति में बचत पर ब्याज दर में भी 50 आधार अंकों का इजाफा करने से बचत खाते पर ज्यादा ब्याज हासिल होगा, लेकिन सवाल यह है कि कमर तोड़ महंगाई में बचत की गुंजाइश कहां है?और जिस के पास बचत के लिए धन है, वह सोना-चांदी से लेकर शेयर मार्केट और रीयल एस्टेट जैसे सुरक्षित औरआकर्षक क्षेत्रों में पूंजी का निवेश क्यों नहीं करेगा? कुल मिलाकर सरकार के इस मौद्रिक कदम से आम आदमी के हिस्से में कुछ भी आने वाला नहीं है। सरकार को महंगाई के मसले पर बाजार के मौजूदा हालात और भविष्य की आशंकाओं का आइना दिखा चुके आरबीआई के गवर्नर की राय में हालात से निपटने का सिर्फ एक ही रास्ता है कि सरकार महंगाई की नियंत्रण प्रक्रिया में तेजी लाए ताकि अर्थव्यवस्था का संतुलन बना रहे।

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