संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान ठीक कहते हैं, स्त्री-पुरूष समानता, ज्यादा से ज्यादा शिक्षित नारी, नौकरी की बेहतर संभावनाएं और सत्ता में उन्हें बराबर की भागीदारी दिए बिना हम संयुक्त राष्ट्र संघ के महिला सशक्तिकरण के क्रांतिकारी सहस्त्रब्दि लक्ष्य को हरगिज हासिल नहीं कर सकते हैं। दुनिया की महिलाओं में निवेश करके ही हम इन लक्ष्यों को साधने की आशा करते हैं। ये लक्ष्य महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को चुनौती देतें हैं और लड़कों की तरह लड़कियों को भी स्कूल जाने के बराबरी के हक की मांग करते हैं। ये लक्ष्य इस तथ्य की भी गारंटी चाहते हैं कि स्त्री- पुरूष समानता का मसला महज एक लक्ष्य तक ही सीमित न रहे,क्योंकि हर हालत में कीमत अंतत: औरत को चुकानी पड़ती है। पुरूषों से ज्यादा महिलाओं पर गरीबी का भार पड़ता है। बच्चों की देखभाल का जिम्मा भी उन्हीं पर होता है। जीवन के हर कदम पर निरंतर उपेक्षा और अपमान उनके सामने होते हैं। जब भी कोई महिला मां बनने को होती है उसी का जीवन दांव पर होता है। लड़कियों का स्कूल पहुंचना सिर्फ इन्हीं लड़कियों के लिए कल्याणकारी नहीं है। कालांतर में यही पढ़ी लिखी बेटियां, मां के रूप में सुंदर परिवार और एक सभ्य समाज की भूमिका लिखती हैं। बेशक, महिला सशक्तिकरण के मसले पर अगर आज इन्हीं मानकों के चलते मध्यप्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान समूचे विश्व के परिदृश्य पर एक रोल मॉडल के रूप में उभरे हैं ,तो इसके पीछे अकेले उनकी सियासी शुचिता ही नहीं है। अपितु उदारता,दृढ़ता,संवेदनशीलता,सक्रियता और समर्पण की बड़ी व्यावहारिक,स्वाभाविक और बुनियादी भूमिका भी रही है। सचमुच, सीएम शिवराज सिंह चौहान को विश्वबैंक की ओर से वाशिंगटन का आमंत्रण अकेले मध्यप्रदेश की उपलब्धि नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमारे राष्ट्रीय गर्व-स्वाभिमान और वैश्विक सम्मान की मिसाल है। विश्व के लिए एक ऐसी नजीर है, जो वैश्विक स्तर पर आधी आबादी को न्याय की उम्मीद बंधाती है। सत्ता के विकेंद्रीकरण के तहत नगरीय निकायों और पंचायतों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने वाला मध्यप्रदेश,देश का पहला राज्य है। प्रदेश में आज तकरीबन 3 लाख महिलाएं निर्विवाद रूप से राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं। मध्यप्रदेश,देश का ऐसा अग्रणी राज्य भी है जहां महिलाओं के लिए 1655.30 करोड़ के जेंडर बजट का पृथक से प्रावधान किया गया है।
लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत 4 साल में साढ़े 7 लाख से ज्यादा कन्याओं को लाभ मिल चुका है। आठवीं के बाद मजबूरी में पढ़ाई बंद कर देने वाली गांव की लगभग 14 लाख से भी ज्यादा गरीब बेटियां अब स्वयं की सायकल से पड़ोस के गांव में आगे की पढ़ाई करने जाती हैं। कन्यादान योजना के तहत डेढ़ लाख से भी ज्यादा निर्धन कन्याओं की शादी सरकारी खर्चे पर कराई जा चुकी है। जननी सुरक्षा और जननी एक्सप्रेस के तहत प्रदेश में 80 फीसदी संस्थागत प्रसव और प्रति हजार पर मातृ मृत्यु दर घटाकर 335 तथा शिशु मृत्यु दर को घटाकर 70 तक पहुंचाने की उपलब्धि के चलते दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में 15 जिलों में किशोरियों के लिए 40 करोड़ के शुरूआती बजट से सबला योजना शुरू की है। राज्य में शिवराज सिंह चौहान ने महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक नवाचार किए हैं। नतीजतन, आज मध्यप्रदेश इस मामले में न केवल देश का अग्रणी प्रगतिशील राज्य बन गया है,बल्कि अब पूरी दुनिया इन अनुकरणीय उपायों का अनुसरण करने जा रही है।
लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत 4 साल में साढ़े 7 लाख से ज्यादा कन्याओं को लाभ मिल चुका है। आठवीं के बाद मजबूरी में पढ़ाई बंद कर देने वाली गांव की लगभग 14 लाख से भी ज्यादा गरीब बेटियां अब स्वयं की सायकल से पड़ोस के गांव में आगे की पढ़ाई करने जाती हैं। कन्यादान योजना के तहत डेढ़ लाख से भी ज्यादा निर्धन कन्याओं की शादी सरकारी खर्चे पर कराई जा चुकी है। जननी सुरक्षा और जननी एक्सप्रेस के तहत प्रदेश में 80 फीसदी संस्थागत प्रसव और प्रति हजार पर मातृ मृत्यु दर घटाकर 335 तथा शिशु मृत्यु दर को घटाकर 70 तक पहुंचाने की उपलब्धि के चलते दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में 15 जिलों में किशोरियों के लिए 40 करोड़ के शुरूआती बजट से सबला योजना शुरू की है। राज्य में शिवराज सिंह चौहान ने महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक नवाचार किए हैं। नतीजतन, आज मध्यप्रदेश इस मामले में न केवल देश का अग्रणी प्रगतिशील राज्य बन गया है,बल्कि अब पूरी दुनिया इन अनुकरणीय उपायों का अनुसरण करने जा रही है।
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