गुरुवार, 25 अगस्त 2011

कन्या पूजन: एक और सरकारी नवाचार

बालिका अत्याचार की बदौलत पूरे देश में शर्मशार मध्यप्रदेश की सरकार क्या बेटियों के प्रति अब सचमुच संजीदा हो रही है? वोट की राजनीति के सतही सियासी नजरिए से इतर अगर इंदौर प्रवास के दौरान एयरपोर्ट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की गोद में दुबकी महज ढाई साल की मासूम सौम्या को देखें तो किसी पत्थर दिल का भी कलेजा भी दहल जाएगा। एक दर्दनाक सड़क हादसे में अपना पूरा परिवार खो चुकी इस नन्हीं सी जान को दुलराते हुए जब सीएम ने उसे दो लाख का चेक पकड़ाने की कोशिश की तो वह नाकाम रहे। इस बड़ी कीमत से बेखबर र्निविकार सौम्या की आंखों में शायद एक ही सवाल था। जैसे कह रही हो,मुङो यह नहीं चाहिए। कहां है,मेरी मां..मुख्यमंत्री खुद को नहीं रोक पाए। सौम्या को मध्यप्रदेश की बेटी का खिताब देते हुए उन्होंने उसके लालन-पालन के लिए चार लाख की सरकारी एफडी का एलान किया। कहा-सरकार सौम्या की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। सरकार और समाज ही अब इसका परिवार है। वास्तव में ऐसी सरकारी संवेदना स्वागत योग्य है। सवाल यह है कि निजता तोड़ते ऐसे सामाजिक सरोकारों से संवेदना शून्य समाज कब सबक लेगा? पूरा देश जानता है। मध्यप्रदेश में बेटियों के हालात अच्छे नहीं हैं। एक दशक के दौरान प्रदेश में शून्य से 6 साल के बच्चों के लिंगानुपात में 20 अंकों की गिरावट आई है। राज्य के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है,जब प्रति हजार लड़कों के बीच लड़कियों के अनुपात 9 सौ से भी नीचे चला गया है। अनपढ़ों की तो छोड़ें इंदौर और ग्वालियर जैसे शुद्ध शहरी मानसिकता के महानगर हों या फिर तेजी के साथ अर्ध महानगरीय आकार ले रहे सतना-रीवा जैसे पढ़े लिखे शहर। आज अगर लिंगानुपात का संतुलन बिगाड़ रहे हैं तो इसके पीछे क्या विकृत सामाजिक सोच नहीं है? सरकार की भी अपनी सीमाएं और विवशताएं हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक इंसानियत को शर्मसार करता सच तो यह है कि मासूम बच्चों खासकर नाबालिग बालिकाओं के दैहिक शोषण के मामले में मध्यप्रदेश पूरे देश में शीर्ष पर है। जबलपुर और राजधानी भोपाल जैसे सभ्य शहर भी पीछे नहीं हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल पूरे देश में बलिकाओं से हुए रेप की अकेले 20 प्रतिशत वारदातें स्वर्णिम प्रदेश का दिवास्वप्न देख रहे मध्यप्रदेश में हुई हैं। क्या इसके लिए समाज नहीं सरकार जिम्मेदार है? शायद इन्हीं वारदातों से सबक लेकर सरकार अब सामाजिक दायित्व निभाने के एक और संकल्प को मूर्तरूप देने की कोशिश में है। शक्ति पूजा के पर्व नवरात्र से समूचे राज्य में शुरू हो रहे बेटी बचाओ अभियान का सरकारी इरादा गांव-गांव, गली-गली पहुंच कर अलख जगाना है। इस अभियान को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सत्ता और संगठन के स्तर पर साझा कार्यक्रम को अंतिम रूप देने का जिम्मा सामाजिक न्यायमंत्री की अगुआई में 6 सदस्यीय मंत्रियों की एक टीम को दिया गया है। बेटी बचाओ अभियान को बढ़ावा देने के लिए अपने सार्वजनिक कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री स्वयं कन्या पूजन कर अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे। उम्मीद लगाई जानी चाहिए कि कन्यादान और लाड़ली लक्ष्मी जैसे नवाचारों का सफलत आयोजन कर चुकी प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार राज्य में बेटी बचाओ अभियान चला कर देश के सामने एक और नजीर पेश करेगी।

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