देश के अन्य राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश नाबालिगों विशेषकर लिडकयों के शोषण के मामले में अव्वल बनकर उभरा है। यह खुलासा राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की ओर से जारी ताजा आंकडों से हुआ है, जिसके अनुसार मध्यप्रदेश में नाबालिगों के साथ 4646 आपराधिक वारदातें हुई, जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है। इसमें भी प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाला इंदौर 337 मामलों के साथ पहले स्थान पर रहा है। इसी प्रकार जबलपुर में 257 और भोपाल में 127 मामले सामने आए हैं। इन आपराधिक घटनाओं में भी मासूम बच्चों के साथ बलात्कार की घटनाएं ज्यादा हुई हैं। एनसीआरबी के ये आंकडे मध्यप्रदेश को शर्मसार करने के लिए काफी हैं। बच्चों विशेषकर नाबालिग लिडकयों से बलात्कार के मामले में मध्यप्रदेश ‘नंबर वन’ है, प्रदेश में 1071 नाबालिग बिच्चयों के साथ बलात्कार की घटनाएं हुईं, जो पूरे देश में हुई वारदातों का 20 प्रतिशत है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, नाबालिग बिच्चयों के साथ बलात्कार के मामले में मध्यप्रदेश के बाद उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र का नंबर है, जहां क्र मश: 625 और 612 घटनाएं दर्ज हुई। बच्चों के साथ हो रहे अत्याचार के मामले में भोपाल तीसरे नंबर पर है। दिल्ली और मुंबई के बाद भोपाल में बच्चों के साथ सबसे ज्यादा बलात्कार की घटनाएं हुईं। दिल्ली में बलात्कार की 258, मुंबई में 85 और भोपाल में 77 घटनाएं हुई। इसी प्रकार, यदि बच्चों की हत्याओं की बात करें तो मध्यप्रदेश में 115 बच्चों की हत्याएं हुई, जबकि उत्तरप्रदेश में 363, महाराष्ट्र में 181 और बिहार में 126 हत्याएं हुईं। इस मामले में भोपाल छठे स्थान पर है, जहां बाल हत्या के सात प्रकरण दर्ज किए गए। दिल्ली 65 बाल हत्याओं के साथ पहले और मुंबई 16 बाल हत्याओं के साथ दूसरे नंबर पर है। बचपन बचाओ आंदोलन के प्रांतीय संयोजक डा. राघवेंद्र सिंह तोमर ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में बाल व्यापार, बाल विवाह और बाल श्रम जैसी घटनाएं आए दिन अखबारों की सुर्खियों में रहती हैं, लेकिन एनसीआरबी के आंकडों के मुताबिक मध्यप्रदेश में ऐसे अपराध नहीं के बराबर हैं। तोमर ने कहा कि ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि मध्यप्रदेश में बच्चों को बेचने की मात्न एक घटना हुई और खरीदने की एक भी नहीं, जबकि प्रदेश के मंदसौर जिले में ही विभिन्न स्थानों से अपहृत कर देह व्यापार के लिए कुख्यात बांछडा जाति के लोगों को बेची गई एक से नौ वर्ष उम्र की 65 से अधिक बिच्चयों को मुक्त कराया गया है और इस मामले में 70 से अधिक व्यक्ति गिरफ्तार किए गए हैं। ये आंकडे एनसीआरबी की रिपोर्ट में शामिल क्यों नहीं किए गए? उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक कि मध्यप्रदेश में बाल विवाह की एक भी घटना नहीं हुईं। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि ऐसे विवाह गुपचुप तरीके से होते हैं और ये मामले पुलिस तक पहुंच ही नहीं पाते हैं। मध्यप्रदेश में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जिनमें बच्चों का अपहरण कर न केवल उनकी खरीद-फरोख्त की गई, बल्कि उनसे देह-व्यापार जैसा अनैतिक कृत्य भी कराया गया। मंडला और बैतूल जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्नों की लिडकयों को नौकरी का झांसा देकर मुंबई, दिल्ली और गोवा जैसे शहरों में लाकर अनैतिक कृत्यों में धकेल दिया जाता है, वहीं लडकों का इस्तेमाल बाल श्रिमक के रु प में किया जाता है। महज आंकडों में सुधार को देखते हुए अमेरिका ने भी भारत को मानव तस्करी की निगरानी सूची से बाहर कर दिया है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है और देश से हर साल लगभग 60 हजार बच्चे गायब हो जाते हैं।
आलेख पढ़कर लोभ संवरित न हो पाया, सो यहां चस्पा कर दिया
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आशा है अनुमति अवश्य देंगे