राज्य प्रशासनिक सेवा (राप्रसे) के 30 फीसदी अधिकारी जांच के दायरे में है। इनके खिलाफ लोकायुक्त, आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और विभागीय जांच चल रही है। मुख्यमंत्नी शिवराज सिंह चौहान ने बीजेपी विधायक विश्वास सारंग के प्रश्न पर यह जानकारी दी। प्रदेश में राप्रसे के 667 अधिकारी पदस्थ हैं। इसमें से 198 अधिकारी भ्रष्टाचार, अनियमतिताएं व पद का दुरु पयोग करने के मामलों में फंसे हैं। खास बात यह है कि इनमें से मात्न 2 अधिकारी ही निलंबित हुए हैं। 14 अधिकारी ऐसे हैं, जिनके विरु द्ध जांच चल रही है, लेकिन वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं। पिछले दो साल में 97 अधिकारियों के खिलाफ जांच में आरोप सही पाए गए।
विधानसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक भोपाल नगर निगम आयुक्त मनीष सिंह के खिलाफ लोकायुक्त संगठन में पद का दुरु पयोग करने के छह प्रकरण दर्ज हैं। इनमें से चार प्रकरणों में लोकायुक्त ने निगम आयुक्त से ही जानकारी मांगी है। शेष दो प्रकरणों में शासन से जानकारी चाही है। सारंग ने राज्य पुलिस सेवा (रापुसे) के अधिकारियों की जानकारी भी मांगी थी, लेकिन मुख्यमंत्नी ने कहा कि इन अधिकारियों की जानकारी एकत्न की जा रही है। उधर, राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के अध्यक्ष उमर फारूख खट्टानी का कहना है कि कुछ ऐसे आरोप लगते है, जिसमें आरोप सिद्ध हो सकता है, लेकिन शिकायतें होना अब आम बात हो गई है। अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर तब तक उंगली नहीं उठाई जा सकती है, जब तक उनके खिलाफ आरोप सिद्ध नहीं हो जाता। अधिकतर मामलों में आरोप सिद्ध नहीं हो पाते है। जांच की स्थिति: 132 के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है। 46 अधिकारी लोकायुक्त जांच के दायरे में हैं। 20 आर्थिक अपराध के मामलों फंसे हैं। 14 अधिकारी ऐसे है, जिनके खिलाफ जांच तो चल रही है, लेकिन वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
विधानसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक भोपाल नगर निगम आयुक्त मनीष सिंह के खिलाफ लोकायुक्त संगठन में पद का दुरु पयोग करने के छह प्रकरण दर्ज हैं। इनमें से चार प्रकरणों में लोकायुक्त ने निगम आयुक्त से ही जानकारी मांगी है। शेष दो प्रकरणों में शासन से जानकारी चाही है। सारंग ने राज्य पुलिस सेवा (रापुसे) के अधिकारियों की जानकारी भी मांगी थी, लेकिन मुख्यमंत्नी ने कहा कि इन अधिकारियों की जानकारी एकत्न की जा रही है। उधर, राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के अध्यक्ष उमर फारूख खट्टानी का कहना है कि कुछ ऐसे आरोप लगते है, जिसमें आरोप सिद्ध हो सकता है, लेकिन शिकायतें होना अब आम बात हो गई है। अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर तब तक उंगली नहीं उठाई जा सकती है, जब तक उनके खिलाफ आरोप सिद्ध नहीं हो जाता। अधिकतर मामलों में आरोप सिद्ध नहीं हो पाते है। जांच की स्थिति: 132 के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है। 46 अधिकारी लोकायुक्त जांच के दायरे में हैं। 20 आर्थिक अपराध के मामलों फंसे हैं। 14 अधिकारी ऐसे है, जिनके खिलाफ जांच तो चल रही है, लेकिन वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
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