स्वाद और सुकून का पर्याय रहे मध्यप्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर की तस्वीर तेजी से बदल रही है। राज्य की इस वाणिज्यिक राजधानी का चैन लुट चुका है। दिन दहशत में हैं और रातों की नींद हराम है। जी,हां यह वही मिनी मुंबई है जिस पर क्या मालवा, पूरे मध्यप्रदेश को नाज था मगर आज इसी इंदौर की बदौलत पूरे देश के सामने समूचा मध्यप्रदेश शर्मसार है। बेस्वाद होता नाजुक रिश्तों का ताना-बाना। अराजक नागरिक जीवन और लापरवाह माहौल.. अगर हम, एनसीआरबी की मानें तो अपराध और असुरक्षा के भयावह आंकड़े हमारे सामने महानगरीय विकास का यह कैसा मॉडल बनाते हैं? विकास की बुनियाद पर विनाश की यह कैसी शर्त? राज्य की वाणिज्यिक राजधानी इंदौर देश की आपराधिक राजधानी बन चुकी है। गंभीर अपराधों के मामलों में इंदौर की बदौलत मध्यप्रदेश पूरे देश में टॉप पर है। देश में अपराधों के अधिकृत अभिलेख जारी करने वाली शीर्ष संस्था नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट क्राइम इंडिया-2009 की मानें, तो लगातार चार वर्षो से इंदौर देश का सर्वाधिक क्राइम रेट 860.3(प्रति एक लाख की आबादी पर) वाला शहर है। प्रदेश की राजधानी भोपाल दूसरे नंबर (836.4) है। संगीन अपराधों के सवाल पर इंदौर ने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई समेत देश के 34 बड़े शहरों के कान काट लिए हैं। इंदौर में राज्य सरकार की अतिमहत्वाकांक्षी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रणाली प्रभावी होने के बावजूद खराब कानून व्यवस्था के मामले में इंदौर देश में सबसे आगे है। राजधानी भोपाल का दूसरा नंबर है। 2010 के दौरान देश में डकैती की सबसे ज्यादा 245 वारदातें इंदौर में दर्ज की गईं हैं। पिछले साल के मुकाबले इंदौर में बलात्कार की वारदातों में 41 फीसदी इजाफा हुआ है। छेड़खानी में पूरे देश में इंदौर टॉप पर है। प्रदेश में छेड़खानी की कुल 6307 शिकायतें आईं, जिनमें से सबसे ज्यादा 419 मामले इंदौर में दर्ज किए गए। बच्चों के साथ सितम में देश में जहां मध्यप्रदेश अव्वल रहा, वहीं प्रदेश में चाइल्ड रेप की 4646 घटनाओं में सर्वाधिक 1071 प्रकरण इंदौर में ही रिकॉर्ड किए गए। संगीन अपराधों में इंदौर जहां मध्यप्रदेश में टॉप पर है, वहीं भारतीय दंड संहिता के सर्वाधिक अपराधों में पूरे देश के मुकाबले मध्यप्रदेश का कोई जवाब नहीं है। नेशनल क्र ाइम रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक, देश में सालाना विभिन्न प्रकार के लगभग 20 लाख अपराध दर्ज होते हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा प्रकरण अकेले मध्यप्रदेश के होते हैं। संगीन मामलों में एनसीआरबी की यह टिप्पणी गंभीर है। क्र ाइम इंडिया-2009 की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में बलात्कार की वारदातों में एमपी सबसे आगे है। देश के कुल 2998 कुकर्मो में अकेले मध्यप्रदेश की 16 फीसदी भागीदारी रही। यहां सर्वाधिक अनुसूचित जनजाति की महिलाएं रेप की शिकार हुईं। हत्या के मामलों में प्रदेश पांचवें नंबर पर जरूर रहा मगर अनुसूचित जनजाति वर्ग की देश में सर्वाधिक 41 हत्याएं एमपी में ही हुईं। इतना ही नहीं, अपहरण की वारदातों में भी बाजी मध्यप्रदेश ने ही मारी। देश में अपहरण की कुल 118 घटनाओं के मुकाबले प्रदेश में सबसे ज्यादा 27 अपहरण हुए। हत्या की कोशिशों में देश में एमपी का चौथा नंबर रहा मगर देश में भ्रूण हत्या के कुल 123 मामलों में सर्वाधिक 39 प्रकरण एमपी में रिकार्ड किए गए। पंजाब दूसरे नंबर पर रहा। ट्रेन में चोरी की वारदातों में मध्यप्रदेश जहां दूसरे स्थान पर रहा, वहीं महाराष्ट्र ने बाजी मारी, लेकिन सांस्कृतिक धरोहरों की 415 चोरियों के साथ अव्वल अपना मध्यप्रदेश ही रहा। एनसीआरबी की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि मिनी मुंबई इंदौर शहर अपराध की नई राजधानी बनती जा रही है। नेशनल क्र ाइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, देश के 30 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में अकेला मध्यप्रदेश ऐसा है, जहां पुलिस के खिलाफ सबसे ज्यादा शिकायतें आईं। उत्तरप्रदेश दूसरे और महाराष्ट्र तीसरे नंबर पर रहे। औसतन प्रदेश के हर पांचवें पुलिसकर्मी के खिलाफ पुलिस ने ही शिकायत दर्ज की। एनसीआरबी की राय में मध्यप्रदेश का जहां हर पांचवां पुलिसकर्मी दागी है, वहीं आम आदमी के साथ पुलिस के निम्नस्तरीय व्यवहार की शिकायतों के मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रणाली वाला इंदौर शहर दूसरे नंबर पर रहा। औसतन इंदौर में तैनात प्रत्येक पुलिसवाले के खिलाफ दो शिकायतें आईं। इस मामले में दिल्ली टॉप पर रही। एमपी पुलिस से जुड़ा एक सनसनीखेज पहलू यह भी है कि डय़ूटी के दौरान जिंदगी से हार मानकर आत्महत्या करने वाले पुलिसकर्मियों के मामले में भी मध्यप्रदेश, देश में सबसे आगे है। नौकरी के दौरान देश में कुल 139 पुलिसवालों ने खुदकुशी की जिनमें से सबसे ज्यादा 31 पुलिसकर्मी अकेले मध्यप्रदेश के थे।
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