गुरुवार, 21 जुलाई 2011

प्रदेश में घट रही हैं लड़कियां


जनगणना के ताजा आंकड़े बताते हैं कि बिच्चयों के मामले में प्रदेश में हालात अच्छे नहीं है। प्रदेश में 0 से 6 साल के बच्चों में लिंगानुपात में पिछली जनगणना के मुकाबले 20 अंकों की गिरावट आई है। शहरी क्षेत्नों में तो यह अनुपात 897 पर पहुंच गया है। प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है, जब शहरों में प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या का अनुपात 900 से कम हुआ है। मंगलवार को जारी मप्र के 2011 की जनगणना के अंतरिम आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में लिंगानुपात यानी प्रति हजार पुरु षों पर महिलाओं की संख्या 919 से बढ़कर 930 हो गई है। लेकिन छोटे बच्चों में लिंगानुपात 932 से घटकर 912 पहुंच गया है। इसमें इंदौर जैसे शुद्ध शहरी मानिसकता वाले नगर निगम क्षेत्न में भी बच्चों का लिंगानुपात बेहद कम (887) है। इस मामले में यह केवल ग्वालियर (827) रीवा (846) और सतना (873) से ही बेहतर है। अभी तक प्रदेश में चंबल क्षेत्न ही कन्या भ्रूण हत्याओं के लिए कुख्यात रहा है, लेकिन छोटे बच्चों में लिंगानुपात में पूरे प्रदेश में कमोबेश समान रूप से कमी हुई है। इसका भविष्य में लिंगानुपात पर असर पड़ना तय माना जा रहा है। लिंगानुपात: प्रदेश का औसत - 930, राज्य में 0-6 साल के बच्चों का शहरी क्षेत्न का औसत - 897, इंदौर - 887, ग्वालियर - 827, रीवा - 846, सतना - 873 .और भोपाल शहर: लिंगानुपात - 911 0-6 साल के 1000 लड़कों पर 917 लड़कियां।

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