राजधानी भोपाल के राजाभोज विमान तल को इंटरनेशनल टर्मिनल की सौगात से आज अगर देश के दिल मध्यप्रदेश की आंखों में ग्लोबल होने के सप्तरंगी सपने तैर रहे हैं ,तो इसके पीछे छिपी है,उम्मीदों की ऊं ची उड़ान..बेशक, यह सौगात मध्यप्रदेश के वैश्विक विकास का मॉडल है। प्रादेशिक प्रगति की प्रतीक है और तेज आर्थिक विकास का पर्याय भी है। अंतरराष्ट्रीय राजाभोज एयरपोर्ट अब देश के प्रमुख हवाई अड्डों में शुमार है। अभी तक भोपाल से सिर्फ दिल्ली-मुंबई समेत देश के सिर्फ 8 शहरों के लिए हवाई सेवा उपलब्ध थी ,लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का रास्ता साफ है। दरअसल,उपलब्धि के इस सुपर हाईवे ने विश्व बिरादरी के लिए पर्यटन उद्योग के अनगिनत रास्ते खोल दिए हैं। पर्यटन उद्योग की अपरमित संभावनाओं वाला मध्यप्रदेश अब देश के मेगा टूरिज्म सर्किट से सीधे जुड़ गया है। देश में सालाना 15 फीसदी की रफ्तार से विदेशी मेहमानों की तादाद बढ़ रही है। दुनिया में भारत पांच ऐसे शीर्ष पर्यटक स्थलों में से एक है,जहां हर साल 8.8 प्रतिशत की दर से पर्यटन उद्योग विकसित हो रहा है। इस उद्योग से सालाना 25 से 30 हजार करोड़ की विदेशी मुद्रा अजिर्त करने वाला भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है। देश की 6 प्रतिशत श्रमशक्ति को पर्यटन से रोजगार मिल रहा है। उम्मीद लगाई जा सकती है कि मध्यप्रदेश में पर्यटन उद्योग के विकास से ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अपार अवसर बढ़ेंगे। तथ्य तो यह है कि प्रदेश का हर संभाग पर्यटन का मेगा सर्किट बन सकता है। पांच लोक संस्कृतियों के समावेशी संसार मध्यप्रदेश का लोकजीवन, साहित्य, संस्कृति, कला, बोली और परिवेश ही नहीं अपितु जनजातियों की आदिम संस्कृति का विशाल फलक विदेशी सैलानियों को सदैव लुभाता रहा है। विंध्य - सतपुड़ा की पर्वत श्रृंखलाएं इसे जहां नैसर्गिक बनाती हैं,वहीं नर्मदा समेत 6 बड़ी नदियों के उद्गम इसे और भी विहंगम बनाते हैं। कालिदास और तानसेन। कला,शिल्प और अद्भुत स्थापत्य। राजतंत्र का वैभवशाली इतिहास। बांधवगढ़,कान्हा, माधव और पन्ना जैसे नेशनल पार्क। पंचमढ़ी, भेड़ाघाट, अमरकंटक, खजुराहो, मांडू,ओरक्षा,ग्वालियर,चंदेरी, इंदौर,सांची, भीम बैठका,उदय गिरि,मैहर,चित्रकूट , महाकालेश्वर,ओंकारेश्वर और भोजपुर। प्रदेश में वैभवपूर्ण पर्यटन की फेहरिस्त बड़ी लंबी है। सरकार अगर चाहे तो वह प्रदेश के सभी टूरिज्म सर्किटों को एयर टैक्सी के जरिए जोड़ कर देश को टूरिज्म स्टेट की सौगात सौंप सकती है। सामरिक लिहाज से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान प्रदेश के तमाम बड़े शहरों में बनाई गई हवाई पट्टियों का विकसित कर इन्हें निकटतम हवाई अड्डों से जोड़ा जा सकता है। प्रदेश के भोपाल,इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में यह नेटवर्क पहले से मौजूद है। राज्य में हवाई सेवा के विस्तार के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और राज्य सरकार के साझा प्रयास भी सराहनीय हैं। प्राधिकरण ने देश के जिन 35 हवाई अड्डों के विस्तार की योजना बनाई है, उनमें प्रदेश के भोपाल,इंदौर, खजुराहो और जबलपुर शामिल हैं। भोपाल के नेशनल एयरपोर्ट का विस्तार तो कुछ यूं किया जा रहा है, ताकि भविष्य में इसे कार्गो कॉम्लेक्स के रूप विकसित किया जा सके। कहना न होगा कि प्रदेश के औद्योगिक और वाणिज्यिक विकास की दिशा में भी यह सौगात मील का पत्थर साबित होगी।
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