यह कहना कितना दुखद और शर्मनाक है कि इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) और प्रतिबंधित स्टूडेंट इस्लॉमिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के 8 खूंखार आतंकवादियों की गिरफ्तारी अंतत: एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस)के एक और जवान की शहादत का नतीजा है। हाल ही में रतलाम में सिमी के साथ मुठभेड़ के दौरान एक तरह से निहत्थी एटीएस टीम जिस तरह से लाचार दिखी,इससे इस बात का अंदाजा लगाना कठिन नहीं कि अत्याधुनिक हथियारों से लैस आतंकवादी गतिविधियों के मुकाबले मध्यप्रदेश पुलिस आखिर कितनी सतर्क और सशक्त है। एटीएस अगर अपना एक और साथी खोने के बाद हरकत में नहीं आती तो शायद देश के ये दुश्मन जाने कब और कहां खून की होली खेलकर ठहाका लगा रहे होते? इस बड़ी कामयाबी पर पुलिस के खुफिया तंत्र को खुशफहमी नहीं पालनी चाहिए। अलबत्ता यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि रतलाम में मुठभेड़ एक मामूली सी मुखबिरी का नतीजा थी,अगर ऐसा नहीं होता तो एटीएस का ऑपरेशन किन्ही सटोरियों की गिरफ्तारी जैसा नहीं होता और..और,एक शहादत का कलंक माथे पर नहीं लगता। प्लानिंग कुछ ऐसी होती जैसा एक्शन जबलपुर से भोपाल के बीच हुआ, लेकिन इस कामयाबी के तार भी रतलाम से ही जुड़े हुए हैं। इसे इत्तफाक ही कहें कि एक लाख का इनामी फहरत उर्फ खालिद एटीएस के हत्थे चढ़ गया और इसी की निशानदेही पर इंडियन मुजाहिदीन का मास्टर माइंड अब अबू फजल भी गिरफ्त में है। अबू वह शख्स है ,जिसने सिमी चीफ सफदर नागौरी की गिरफ्तारी के बाद मध्यप्रदेश में उसके आपराधिक सत्ता संभाल रखी थी। उधर, फैजल पाकिस्तान में बैठे इंडियन मुजाहिदीन के टॉप लीडर रियाज भटकल और इकबाल भटकल के संपर्क में था और इधर,फहरत भी अबू से लगातार संपर्क बनाए हुए था। आतंकी गतिविधियों के प्रति जहां तक प्रदेश पुलिस की सक्रियता का सवाल है, तो एटीएस के एक और जवान का कातिल यह वही फहरत है, जो एक साल पहले इंदौर की परदेसीपुरा पुलिस की चूक का लाभ लेकर जमानत पर भाग निकला था । इस समूचे घटनाक्रम से यह बात तो साफ हो गई है कि देश का दिल मध्यप्रदेश नए सिरे से दहशतगर्दो के निशाने पर है। खासकर इंडियन मुजाहिदीन की जड़ों को मजबूत करने के लिए प्रतिबंधित सिमी का नेटवर्क किसी कैरियर की तरह काम करता है। सवाल यह है कि वे कौन सी ताकते हैं ,जो स्टूडेंट इस्लॉमिक मूवमेंट ऑफ इंडिया का स्थानीय स्तर पर पोषण करती हैं ? आखिर आस्तीन के इन सांपों को कब चिहिंत किया जाएगा? वे कौन से कारण हैं,जो आईएम या सिमी के लिए मध्यप्रदेश को सेफ जोन बनाते हैं। यह कहना ठीक नहीं कि प्रदेश में सिमी नए सिरे से अपना नेटवर्क बना रही है। इस तथ्य को स्वीकार किया जाना चाहिए कि राज्य में आईएम और सिमी का मजबूत गठबंधन नापाक इरादों को अंजाम देने के लिए सक्रिय है और उसे सिर्फ मौके की तलाश है। जबलपुर और भोपाल में सक्रिय आतंकियों की गिरफ्तारी बताती है कि भ्रष्टाचार से आंदोलित देश के इस नाजुक मौके का आतंकी फायदा उठाने की फिराक में थे। सवाल यह भी है कि आखिर इसके लिए मध्यप्रदेश को ही क्यों चुना गया था?
so true..
जवाब देंहटाएंa thought provoking post !!